चलो आज फिर
चलो आज फिर
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चलो आज फिर
भूली बिसरी यादो
को ताजा करते है ।
दो कदम आगे
बढा कर साथ मे
आगे चलते है।
मुलाकात
जब हुई थी
घवराहट हुई थी ।
पहली बार
जब मिले थे ।
शर्माये कुछ
सकुचाये थे ।
अपनी ही बातें
कोई सुन न ले।
मन ही मन
क्यो डरते थे ।
पल दो पल की
मुलाकात मे
क्यो आपस
मे घबराये थे ।
शायद उस
मुलाकात से
दिल आपस
मे मिले थे ।
तभी तो मन मे
डर लगता था
बात करने से
मन डरता था ।
जाने क्या क्यो
ऐसा हुआ था ।
दिल मे दोनो के
बस ऐसे ही
कुछ कुछ हुआ था ।