गोविंद का सुमिरण ।
गोविंद का सुमिरण ।
हे ! मुरली मनोहर, हे ! वासुदेव् नंदन,
हे ! गिरिधर नागर, हे ! दामोदर ।
रास लीला तेरी आनंद दायक,
तू ही है स्वामी गोपियों का नायक ।
हे ! मधुसूदन, हे ! मनमोहन,
हे ! पीताम्बर, हे ! ब्रिजमोहन ।
कैसे करूँ पार संसार के भव सागर को,
पुकारूँ बार - बार मेरे गिरिधर नागर को ।
हे ! श्यामसुंदर, हे ! गोविंद
हे ! विश्वम्भर, हे ! मुकुंद ।
यंत्रणा मिली है मुझको मोह मुद्गर से,
उद्धार करो ओ माधव माया के सर से ।
हे ! गोपाल, हे ! नंदलाल,
हे ! नारायण, हे ! निरंजन ।
स्तिथप्रज्ञा तुम अंतःकरण में जगाओ,
फिरसे विश्वरूप धर कर्मयोग सिखाओ ।
हे ! वैकुंठनाथ, हे ! जगन्नाथ,
हे ! उपेंद्र, हे ! यादवेंद्र ।
है मानव कालिया नाग कलयुग का,
हे ! बंसीधर अब तुम ही बचाओ ।
हे ! परमपुरुष, हे ! परमात्मा,
हे ! प्रजापति ,हे ! विश्वात्मा ।
उदाहरण दे कर मीराबाई का,
भक्ति ओ उपासना की नींव रखाओ ।
हे ! श्रेष्ठ, हे ! सनातन ।
मुझको सच्चा मार्ग दिखाओ,
भक्त को तुम दो अपने दर्शन,
वैजयंती माला सा विजयी बनाओ ।