जिसकी मस्ती ज़िंदा है.....
जिसकी मस्ती ज़िंदा है.....
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जिसकी मस्ती ज़िंदा है, उसकी हस्ती ज़िंदा है...
सफर अनंत, छोड़ ग़म, छालों से क्यों शर्मिंदा है?
बजा ढोल, तू कर मस्ती जिसके लिए चुनिंदा है ।
रंजो-फ़िक्र, दुःख-चिंता, जान! ये सब यम-कारिंदा है
मस्ती धन-दौलत- सब-कुछ, मस्ती सुख-परिंदा है ।
मरहम मस्ती, गर मन तनाव-तीर से बिंधा है,
शिव-अल्लाह-गॉड ये सबकी ही पसंदीदा है।।
क्योंकि ,
जिसकी मस्ती ज़िंदा है, उसकी हस्ती ज़िंदा है।