मैं विद्यार्थी हूँ
मैं विद्यार्थी हूँ
अभी मेरी
प्यास खत्म नहीं हुई है
जानने की
समझने की
सीखने की
उलझने की
सांसारिक मृगतृष्णा में
जहाँ कैद हैं
कितने ही
अनसुलझे प्रश्न
जहाँ मूक हैं
कितने ही
उत्तर
जिनकी सत्यता की
जाँच अभी बाकी है
जिनकी गर्दनों में
झूठ की बोटियाँ
टाँकी हैं
जहाँ
भीरू बनी हुई है
भविष्य की नसलें
जिन्हें घबराहट है
अप्रत्याशित हिंसा से
जो उनके आगे
सुरसा की तरह
मुँह बाए हैं
मैं रोज़
इनमें खोकर
जीवन को पढ़ता हूँ
मैं विद्यार्थी हूँ
इन्हीं जिज्ञासाओं में जीता हूँ