Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Anand Ranjan

Abstract

2.5  

Anand Ranjan

Abstract

"वो"

"वो"

1 min
7.2K


ख्वाहिशें गिरवी रख कर खुशियां उधार लिया करते हैं

आजकल वो जिंदगी जिम्मेदारियों में गुजार लिया करते हैं

मानो इतनी सी रह गयी है उनकी जिंदगानी

की बुढ़ापे में बीत रही हो पूरी जवानी

ध्यान से देखो तो उन हँसते होंठों की हंसी भी झूठी लगती है

उड़ानों की उनकी कोई डोर जैसे टूटी लगती है

अधूरी नींदों के साथ हर वक़्त जाग रहे हैं

और जलील हो रहे हैं फिर भी बॉस के पीछे भाग रहे हैं

इससे अच्छे तो वो दिन थे जहाँ जब

जी करता था सो लिया करते थे

और गर डांट पड़ती थी तो बैठते थे और

खुलके रो लिया करते थे

बंद आँखों के सपने जब नींद

खुलने के साथ खो जाया करते हैं

और गली मोहल्ले के दोस्तों के साथ वो

फिर ग़ुम हो जाया करते थे

जब चन्द सिक्कों में अपनी मनपसंद

मिठाई खाया करते थे

और होली हो या दिवाली परिवार के संग मनाया करते थे

वैसे तो सैकड़ों हैं पहचान में पर दिल में अब

उनके तन्हाई है पैसे तो लाखों है पर खुशियों

के बाज़ार में उनके अब थोड़ी महंगाई है 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract