साड़ी वाली लड़की
साड़ी वाली लड़की
बीत गये है बरसों
याद दिल से क्यों नहीं जाती है
वो साड़ी वाली लड़की फिर सपनों में आ जाती है।।
दूर खड़ी भी हम से नयनों के तरकश से तीर चलाती है
हमको घायल कर जाती है
वो साड़ी वाली लड़की जब सपनों में आ जाती है।।
इतराती है इठलाती है धीरे-धीरे मुस्काती है
हाथों को रखे बालो में फिर धीरे से सहलाती है
वो साड़ी वाली लड़की जब सपनों में आ जाती है।।
कहती है क्या तुम भूल गये उन यादों और जमानों को
राज कपूर की फिल्मों और मेरे उन अरमानों को
कह के हमसे ये बातें पुराने नगमें याद दिलाती है
वो साड़ी वाली लड़की जब सपनों में आ जाती है।।
फिर वो लम्हा आता है जब आँखें नम हो जाती हैं
उस साड़ी वाली लड़की की तस्वीर धुंधली सी हो
जाती है
हम रोते हैं चिल्लाते हैं कोई दलील ना मानी जाती है
वो साड़ी वाली लड़की फिर सपनों से खो जाती है।।