कविता लिखता हूँ
कविता लिखता हूँ
बस एक कवि हूँ
कविता लिखता हूँ
कोई विषय चुनता हूँ
उस पर कविता लिखता हूँ
सिक्के के दो पहलू है
कवि दोनो पर लिखता है
भेद भाव किसी एक
पर नहीं करता है
सरल और सादे शब्दों से
माला की तरह पिरोता हूँ
रस रहे न छन्द रहे
अलंकारो से मुक्त रहे
बस एक सरल सी
कविता लिखता हूँ
शेरो शायरी गज़ल
छंद मुक्तक भी
नहीं लिखता हूँ
बस सादी कविता
को लिखता हूँ
बस इसी विधा
पर लिखता हूँ
प्यार सभी से
करता हू।
माता पिता
भाई बहन से
पत्नी और बच्चो से
प्यार बहुत करता हूँ
कुटुम्ब और परिवार
से हिल-मिल साथ
हमेशा रहता हूँ
ईश्वर से भी प्रेम करू
सुबह से ही
गुणगान करू
प्रेमी युवा प्रसंगों
को भी अपनी
कलम से लिखता हूँ
प्यार में जो मर मिट
जाये उसके विरोधी हूँ
विरोध मे लिखता हूँ
एक दिन सभी
को मरना है
प्यार में फिर
क्यो मरते हो
ऐसा प्यार न
करो किसी से
जो माता पिता
भाई बहन के
रिश्तों जुदा करे
प्यार विरोधी नहीं
हूँ यारो दोनो पक्ष
पर लिखता हूँ
जीवन है अनमोल
प्यार में मर जाओ
ऐसा कभी नहीं
मैं लिख सकता
प्यार के सागर को
गागर में भर सकता हूँ
कवि हूँ मैं बस सभी
पक्ष पर लिखता हूँ।