मान लेते हैं
मान लेते हैं
चलो मान लेते हैं कि हम अजनबी हैं,
दूर हो गए हैं अब नहीं कोई क़रीबी हैं
हम कब और कैसे मिले हमें याद नहीं,
हमारे बीच कोई भी खास बात नहीं।
ना तुम्हारे सांसों में हमारा जिक्र किया,
ना तुमने कभी हमें अपनी बाहों में लिया।
रात रात भर तुमने हमें याद नहीं किया था,
मान लेते हैं कभी कोई फ़रियाद नहीं किया।
मान लेते हैं तुम्हारी आँखों को कभी भी,
मेरे आने का बेसब्री से इंतजार न था।
और ये भी मान लेते हैं कि आज तक,
हमारे बीच कोई भी प्यार नहीं था।
तुम सर्दी से बाहों में सिकुड़ती नहीं थी,
माना बारिशों में कभी भीगी हीं नहीं थी।
एक बात मुझे जरा समझाती जाओ,
सामने आकर तुम भी बातें मान जाओ।
मान जाओ कि प्यार कोई खेल नहीं है,
ख़ुदा के बिना दिलो का मेल नहीं है।
क्यों दुनियावालों पे ऐतबार करतीं हो,
मुझे पता है तुम भी मुझसे प्यार करतीं हों