एक और मेघदूत
एक और मेघदूत
कहीं दूर से
थके चले आते
काले धुएँ के बादल
मुझसे आ लिपट जाते हैं
मेरा चेहरा
भयाक्रांत
सफ़ेद होता जाता है
मुझे लगने लगता है
कालिदास झूठा था
कैसे ले जाते होंगे
वे काले मेघ
यक्ष का प्रेम संदेशा ?
कि ये काले बादल तो
हर बार
भय का ही संदेशा
लाये हैं मेरे नाम
भविष्य का युद्ध
मेरे वर्तमान से आ चिपकता है
मैं देखता हूँ---
युद्ध पीढ़ी की नसों में
भर दिया गया है बारूद
और
फेफड़ों में छिपा दिये गए हैं
एटम बम
न जाने कब
कहाँ से
ऐसा ही कोई काला बादल
उमड़ आयेगा
धुएँ में छिपी
चिनगारी
बारूद में घुस जायेगी
फेफड़ों में छिपे एटम बम
एक-एक कर फूटते जायेंगे।
कहीं कोई नहीं
मैं असहाय......
भयाक्रान्त.........!