अस्तित्व
अस्तित्व
अस्तित्व को ढूँढती मैं
हूँ खुद की ही तलाश में
जब भी अस्तित्व को ढूँढा है
खुद को ही पाया है
कौन हूँ मैं ?
मेरा अस्तित्व क्या है ?
इन सवालों से घिरी हुई मैं
हूँ खुद की ही तलाश में
अस्तित्व को ढूँढती मैं
हूँ खुद की ही तलाश में
ख्वाबों का दायरा कैसा
और कितना होगा
ये कौन जानता है ?
बस कोशिश ये हो
उसका दायरा किसी की खुशियों को
कम ना कर सके
कभी - कभी ये सब भी
सोच लेती हूँ मैं
अस्तित्व को ढूँढती मैं
हूँ खुद की ही तलाश में
हताश जिंदगी कभी - कभी
तोड़ने की कोशिश करती है मुझे
शायद कोशिश करती है वो
कि मैं खुद की तलाश
ना कर पाऊँ
फिर मैं भी उसे
कह देती हूँ वही बात
अस्तित्व को ढूँढती मैं
हूँ खुद की ही तलाश में...!