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फिर साँसों मे समाने लगे

फिर साँसों मे समाने लगे

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फिर साँसों मे समाने लगे
बेतहाशा याद आने लगे
धड़कनो को सँभाला बहुत
लब मगर गुनगुनाने लगे

डूबे है दिन आई है रात
सपनों के दीपक लाई है साथ
तेरी सदा फिर आने लगी
रूह बन के दिल मे उतरने लगी
तेरे साथ हर घड़ी तेरे साथ हर पल
ख़र्च करने लगे हैं सनम

बेचारा दिल मासूम दिल
लिखने लगा पैग़ाम कोई
शर्मा गया घबरा गया
पूछा जो हमने माज़रा है क्या
मुस्कुरा के सनम आ उठा ले क़सम
लिखेंगे हम कहानी नई

 


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