...मैं बलोच हूं!
...मैं बलोच हूं!
जंगे- आज़ादी अपनी अकेले ही लड़ता हूं,
और विश्वशांति के लिए रोज़ झगड़ता हूं,
मैं बलोच हूं!
इंसानियत को,
अपने अहले वतन को मैं सबसे पहले रखता हूं,
मैं बलोच हूं!
चिलतन, सुलेमानी पहाड़ों में फिरूं मलंग सा,
"सरमाचार" कहलाता हूं,
मैं बलोच हूं!
सच्चा मुसलमाँ होने की वजह भूगतता हूं,
खुद शैतानों से "काफिर" कहलाया जाता हूं,
मैं बलोच हूं!
अपनी ज़मीन से, वसाइल से बेदखल,
अपनों की लाशों तले दबवाया जाता हूं,
मैं बलोच हूं!
कभी दूकानों से, बाज़ारों से,
कभी घरों से, उठवाया जाता हूं,
फिर अधमरा, तार-तार
उड़ते तैय्यारों से फिकवाया जाता हूं,
मैं बलोच हूं!
मां-बहन, बीवी-बेटी, बच्चे-बच्ची को,
अपनी जान-अजीज मिट्टी को,
ना-पाकियों के पैरों तले कुचलाता देख
कालाश्निकोव उठाता हूं
मैं बलोच हूं!
"नानी माता" की गोद में,
और अल्लाह के सुकून-साये में,
हिफाज़ते-वतन के गीत रोज गाता हूं
मैं बलोच हूं!
हिंदू-सिख-सिंधी-पश्तून सबको साथ लिये,
पाकि ज़ुल्म की खिलाफत करता हूं,
मैं बलोच हूं!
हरामज़ात बदबख्त चीनी को,
हर दहशतगर्द कमज़ात पाकि को,
जहां से मिटाने की कसम आज खाता हूं,
मैं बलोच हूं!
हमारी बहनों ने जो भेजी थी तुम्हें राखीयां,
पुकार उठी है वो आज,
उठो, चलो, जागो अभी, लड़ो हमारे साथ,
आओ मैं हिंद का यार हूँ,
बस एक बची है जाँ - लुटाने को तैयार हूं,
मैं बलोच हूं! हां मैं बलोच हूं!