इठलाती हवा
इठलाती हवा
आज हवा कुछ ज्यादा ही इठला रही है,
बसंत आने को है ,इसलिये शरमा रही है,
मौसम भी है खुशनुमा तितली गीत गा रही है,
कोयल की कूक सुनने को हर दिशा मद पी रही है,
भवरा है बौराया सा ,हर कली खिल रही है
जैसे कोई विरहन पिया से मिल रही है,
गुलाबी रंग गालों का ,नजर मुस्करा रही है,
जुल्फ है दीवानी बेबजह उलझ रही है,
एहसास हैं बदले से और साँस भी गर्मा रहीं हैं,
शीत छुडा रहा है दामन गर्मी भागी आ रहीं हैं