आ जाओ महाकाल बनकर
आ जाओ महाकाल बनकर
आ जाओ महाकाल बनकर
खा जाओ विकराल बनकर,
डूबा हुआ है अधर्म में समाज
घेर लो सबको जाल बनकर।
हर तरफ पाखंड करता नाच
बुझी धर्मज्योति की ये आग,
कुछ नहीं सिर्फ है एक ज्ञान,
नजरबंद जादू और चमत्कार।
आ जाओ महाकाल बनकर
खा जाओ विकराल बनकर,
फ़ैल जाओ गाँव-कस्बों जाकर,
तुम ज्ञान का भंडार बनकर।
चोरी भुखमरी भ्रष्टाचार निराशा,
सब मिटा दो एक दान बनकर,
एक बार कलयुग को दिखा दो,
फिर सत्य की महाशान बनकर।
आ जाओ महाकाल बनकर।
खा जाओ विकराल बनकर।।