सास मोहे तीखी चटणी सी लागै
सास मोहे तीखी चटणी सी लागै
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तन-मन में आग लगाबे
सास मोहे तीखी चटणी सी लागे
हर काम में मीन मेख निकाले
पिया को मेरे विरूध चढाबे
सास मोहे तीखी चटणी सी लागे
पूरे घर पे धौन्स जमावे
मेरे मैके को लरकावे
सास मोहे तीखी चटणी सी लागे
चखीया-चुल्हे के धोरे न झांखे
घी के मटके पर नजर गड़ाबे
सास मोहे तीखी चटणी सी लागे
अपनी नाक सदा ऊँची राखे
मोहे दे उलाहना बाज न आबे
सास मोहे तीखी चटणी सी लागे
सुबह सबेरे चील सी चिल्लाबे
नाय उठू हजार सुनाबे
सास मोहे तीखी चटणी सी लागे