काला सच
काला सच
बैठें हो जो शिखर पर ,
उन्हें ज़मीं कहाँ दिखाई देती है !!
कारोबार ही हो जिनका लहू का ,
उन्हें आँखों की नमी कहाँ दिखाई देती है !!
जिस्मानी सौन्दर्य ही आधार हो जिनके प्रेम का ,
उन्हें प्रेम की गहराई कहाँ दिखाई देती है !!
मन ही मैला हो जिनका ,
उन्हें किसी की अच्छाई कहाँ दिखाई देती है !!
दौलत की काली पट्टी ही बँधी हो जिसकी आँखो पर ,
उसे किसी निर्दोष की बेगुनाही कहाँ दिखाई देती है !!