कमज़ोर नहीं हम!
कमज़ोर नहीं हम!
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ये मर्ज़ी है हमारी जो,
हम अपने नाकामी को अपने ज़हन में लिए चलते हैं,
उनके सुनाए फ़ैसले को,
बस मंजूर किए चलते हैं,
इतने भी कमज़ोर नही की,
डरते फिरे, उन जज्बातों के आने से,
करते हैं उनका ज़िक्र हक़ से,
और फिर उस तूफान को, चुप चाप,
हँस के पार किए चलते हैं!