दुआओं का असर
दुआओं का असर
तूफ़ानों में रहकर भी अब तक हरा-भरा सा ये शज्जर है,
कुछ आपकी दुआओं का असर है बाकी खुदा की रहम-ओ-नज़र है
माना पूरी तरह काबिल नहीं हुआ खुदा की इबादत के,
फिर भी दिल में महफ़ूज़ थोड़ी श्रदा और थोड़ा सबर है।
आंधियां तो आती रहीं पर जड़ें मजबूत हैं इसलिए उखड़ा नहीं,
माना की टूटा हूं कई बार पर इक बार भी मैं बिखरा नहीं,
हिम्मत की भट्टी में जला हूं पर कुन्दन की तरह निखरा नहीं,
कुछ नया भी सोच लेता हूं थोड़ा हूं पर इतना भी पिछड़ा नहीं,
बहुत ज्यादा नहीं पर थोड़ी बहुत अच्छे बुरे की भी खबर है।
कुछ आपकी दुआओं का असर है बाकी खुदा की रहम-ओ-नज़र है|
हमने भी अपनी आंखों में बड़े-बड़े सपने सजा रखे हैं,
कोशिश करते रहते उन्हें पाने की ऐसे आसार बना रखे हैं,
शायद वक़्त लगे इसलिए पलकों में कुछ आंसू छुपा रखे हैं,
पर यकीन है पूरे होंगे क्योंकि ये खुद खुदा ने दिखा रखे हैं,
मंज़िल आखिर मिल ही जाएगी जब शुरू कर दिया सफ़र है।
कुछ आपकी दुआओं का असर है बाकी खुदा की रहम-ओ-नज़र है|
जब भी कभी बिमार होता हूं दवा से ज्यादा दुआ लगती मुझे,
हर रिश्ता नायाब है पर हर रिश्ते से बढ़कर माँ लगती मुझे,
जब भी माँ अल्फ़ाज़ बोलता हूं मीठी -मीठी सी जुबान
और जब भी रास्ता नहीं मिलता वो ही सही रहनुमा खोया
तो मैंने भी बहुत पर ऐसी माँ मिलने का मुझे
|कुछ आपकी दुआओं का असर है बाकी खुदा की रहम-ओ-नज़र है|
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लगती मुझे,