अपने सपने
अपने सपने
1 min
6.7K
जिस तरह आकाश की सीमा का,
कोई छोर तय नहीं है,
जैसे किसी भटके हुये राही का,
उस रास्ते पर कोई ज़ोर नहीं है.
जिस तरह समंदर में उठने वाली लहरों का,
अपना कोई मोड़ नहीं है,
उसी तरह हमारे सपनों की दुनिया की,
कोई निश्चित भोर नहीं है.
कभी ये बंद आँखों में छिपी,
अनोखी तसवीरें होते हैं,
तो कभी ये खुली आँखों से देखे जाने पर,
आत्मविश्वास रूपी सच्चाई से बँधे होते हैं.
कभी ये मस्ती भरे लम्हों की,
गुज़ारिश होते हैं,
तो कभी ये दुख से बँधी ज़ंजीरों की,
सिफारिश होते हैं.
उन सपनों रूपी लहरों का उस समंदर में,
जिस तरह गुज़ारा होता है,
वैसे ही एक सच्चे सपने का दुनिया में,
सबसे अनोखा सितारा होता है...!