मौसम
मौसम
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पूरा हो चुका है
बर्फ़ का इस साल का कोटा
उन्हें छूकर बहने वाली हवाऐं
आ गईं हैं सूरज के बहकावे में
सूरज, जो अथक है अब छिड़कते हुऐ धूप
मरणासन्न घास जी उठी फिर
फिर लहलहाई इतनी कि कुतर दी गईं उनकी नोकें
डैफ़ोडिल्स मिचमिचाती आँखों से देखते
सफ़ेद से पीली हो आई रौशनी
हज़ारों मील दूर पूरब से
टेसू और पलाश का संक्रमण फ़ैल आया पश्चिम तक
मगर कुछ न बदलने वाले मौसमों सी तक़लीफें
तक़लीफों ने पहन ली फ्राकें लड़कियों सी
आ धमकती हैं नऐ तक़नीकी माध्यमों से
उनकी पत्तियों में बुवे हैं इजाफ़े के बीज
अजूबे की तरह
जाऐंगे ये मौसम
जो काट रहे हैं नसें
तैयार कर रहे हैं फंदे
घोले खड़े हैं ज़हर
थापों पर थिरकते पाँवों के बीच
तड़तड़ाती तालियों के बीच
अब भी पाँव सीधे हैं नास्त्रेदमस के
मशाल