मेरी माँ
मेरी माँ
मेरी ख़ामोशी का सबब जानती है,
बिना लफ्ज़ मेरे जज्बात पहचानती है।
दुनिया में कोई मुझे समझ नहीं सकता,
मेरो माँ मेरा हाल-ऐ-दिल जानती है।
उनके होने से मेरी ज़िंदगी गुलज़ार है,
वो ना हो पास तो मेरा जीना दुश्वार है।
मेरी आँखों की नमी वो सबसे पहले पहचानती है,
मेरी माँ मुझे सबसे बेहतर जानती है।
जब कोई बात मुझे थोड़ा भी सताती है,
मेरी माँ मुझसे ज्यादा परेशान नज़र आती है।
मेरे लिए खुदा की सबसे बड़ी नैमत है वो,
मेरी हमराज़, मेरी दोस्त,
मेरी जान उनमें सिमट जाती है।
इस जहां में सबसे ज्यादा मेरी माँ मुझे चाहती है।
सजदों में जितना सुकून मिलता है,
उतनी कैफियत मेरी माँ की फूंक मुझे दे जाती है,
मेरी माँ ही है जो मुझे बेतहाशा चाहती हैं।
जरुरत नहीं मुझे ज़माने की,
ना ही किसी के साथ की इल्तेजा मुझे सताती है,
मेरे लिए काफी है मेरी माँ,
जो मुझे बेइंतहा चाहती है।