अच्छा लगेगा
अच्छा लगेगा
चलो तुम नेकी के रास्ते
अकेलापन ज़रूर लगेगा
पैरों को मंज़िल मिलते ही
सोचों कितना अच्छा लगेगा...
नजर से नजर मिल जाये
अजनबी सा ही लगेगा
मुस्कुरा देना तुम यूं ही
उसकी आँखो को अच्छा लगेगा....
बाँटते चलो ख़ुशियाँ तुम
दिल फिर धड़कता रहेगा
हाथ छू लेंगे आसमान को
आरमानों को अच्छा लगेगा....
बढ़ाओ हाथ मदद के लिये
बोझ थोड़ा बहुत लगेगा
जुड़ जायेंगे वो हाथ सामने
अपने आप को अच्छा लगेगा....
मिटाकर दूरीयाँ सारी
अब बोलना ही पड़ेगा
बिखरे हुये उन रिश्तों को
जोड़कर देखो अच्छा लगेगा..