सप्तरंग प्यार के
सप्तरंग प्यार के
गुलाबी सुबह की रुमानियत
संदली शाम की पुरवाई,
झाँकने लगी झरोखे से
चांदनी की परछाई,
ये रंग नए एहसास का ...।
तेरे सपनों के सोपान पर
मेरे ख्वाब चढ़ने लगे,
मेरी ख्वाहिशों के पंख लगाकर
अरमां तेरे उड़ने लगे,
ये रंग हमारे साथ का ...।
हमारी टहनी पर सजी कोपलें
बगिया में नन्हा फूल खिला,
नई नई उम्मीदें बंधी
बना नए सपनों का किला,
फिर रंग नए पहचान का ...।
मेरे लड़खड़ाते कदमों को
तेरी बाहों का सहारा,
दर्द चुनकर कंटीली राहों से
तुझे हर बार मैंने उबारा,
ये रंग था परवाह का ... ।
शतरंज की बिसात पर
टेढ़े मेढ़े चालों के वार,
हम साथ तो टूट जायेगी
कोई कैसी भी हो दीवार,
ये रंग उम्मीद और आस का ...।
जेठ की तपती दुपहरी
पूस की सर्द हवाएं,
गर्म थपेड़ो से हमारा
स्वप्न कुसुम न कुम्हलाए,
ये रंग हमारे विश्वास का ...।
एहसास की डोरी में
तेरे साथ का माणिक जड़ा,
नई पहचान परवाह उम्मीद
विश्वास का दीप जला,
और रंग गहराया प्यार का।
#love