बंधन तोड़ दे
बंधन तोड़ दे
जो रिश्ते नासूर बन जाएँ, उन रिश्तों के बंध तोड़ दे
अली बन जो मंडराए कली पे उन दुष्टों के पंख तोड़ दे
पूरा चमन ही झुलस रहा है , माली है बेखौफ सिर पर
शर्मसार है भारत माता बेटो के इन दुष्कर्मों पर
निज शक्ति एहसास करादे भूल गया है ये पागल नर
उठ जा अब बन करके आंधी , इस दिशा को नया मोड दे
सीता बनकर शक्ति ने राजा रावण का नाश किया
बनी द्रोपदी रण भूमि में कौरवों का सर्वनाश किया
जिद्द पर आई गांधारी संस्कार हीन समाज किया
फिर से भेडिंयो को बाडो मे घेर खदेड़ के ज़ंग छेड़ दे
मानव जीवन को पाकर भी गंदे सपने देखती अखियाँ
काम लोलुप उड़ती फिरती पेचिश फैला रही ये मक्खियाँ
हिंसा उत्पीड़न से कैसे बचें ये गुड़िया,बुढ़िया,सखियाँ
छोड़ के कायरता के दायरे छद्म भेषियों की बाह मरोड़ दे
नहीं कहेगी कोई भी माँ मत आना इस देश लड़ो
बागी-पागी हत्यारों को जिंदा ही धरती मे गाढ़ो
ना मर पाए ना जी पाए इन्को इस तरह से ताडो
‘भारद्वाज’ कुदृष्टि धारको के अन्धो सम नेत्र फोड दे।।