आज भी उड़ता जाता हूँ
आज भी उड़ता जाता हूँ
क्या ढूंढ़ रहा हूँ मैं !
संगी साथी छूट रहे
नभ के तारे टूट रहें
बचपन गया यौवन छूटा
कितने सावन चले गये
हौसला ए परिपूर्ण हृदय
हिम्मत ए जुनून साकी खुदा
पंख फैला चंद्र चक्षु सा निहारे
अन्तकरण यौवन सा पुकारे
उमंगों संग जज़्बातों संग
मैं आज भी बढ़ता जाता हूँ
ना थका हूँ, ना थमा हूँ
नये हौसलों संग मैं
आज भी उड़ता जाता हूँ।।