बनाना कार्य किसका नहीं
बनाना कार्य किसका नहीं
माँँ मुझे ऐसा खाना दो
महात्मा जेइ चेतना पाऊँगी
गरीबों के सेब करते करते
देश सेबी बन जाऊंगी
माँँ मुझे एईसा कपड़े पहना दो
लज्जा ढँकना काफी होगा ,
गरीबों के साथ मिल जाए तो
मुझे ढूँढ नही पाऊंगा l
माँ मुझे एईसा लघुकथा सुना दो
मेरा शरीर में हिम्मत भर जाएगा
सत्य न्याय के लिए लड़ते लड़ते
मेरा सास घुटने तक जाएगा l
माँ मुझे एईसा बारदान करो
सेबी ने ब्यौरा होगा मन
देश की सेबी ब्रत करते करते
बित जाएगा दिन
माँ मुझे जनम दिया तो
बनाना का कार्य किसका नही
रूप होगा कि नही मगर
गुण से भरना कभी भूलना नहीं !