हुआ है
हुआ है
शोख नजर का ये निशाना हुआ हैं
दिल अब हमारा दीवाना हुआ है।
इनायत की उनकी बढ़ी आरजू है,
मोहब्बत भरा ऐक फसाना हुआ है।
वफ़ा हम निभाते मगर क्या करें
चाहत का दुश्मन जमाना हुआ है।
उल्फत के अरमां रहे दिलमें अपने,
मगर हाल अपना दबाना हुआ है।
जुदाई का उनकी रहा बोझ भारी,
भरम ये भी सारा निभाना हुआ है।
रहा दो घडी का साथ उनका हमारा,
उमींदों से दिल को बसाना हुआ है।
सदा गम झेला जुदाई का मासूम ,
हमारा मगर दिल लगाना हुआ है।