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शहर जल गया

शहर जल गया

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चाँदनी थी रात अचानक मौसम बदल गया
बरसा बादल इस कदर कि शहर जल गया
चाँदनी थी रात अचानक..............

कुछ पल के लिये गया मैं शहर से दूर अपनें
उन लम्हों में क्या हुवा जो मंजर बदल गया
चाँदनी थी रात अचानक..............

हर शख्स इस शहर में डरा हुवा सा क्यूँ है
चेहरे पे जैसे सबके आज मातम पसर गया
चाँदनी थी रात अचानक..............

खिलता गुलाब सा चेहरा मेरी सूरत देख के
दीश उसका भी आज देखो रंगत बदल गया
चाँदनी थी रात अचानक मौसम बदल गया
बरसा बादल इस कदर मेरा घर जल गया

जगदीश पांडेय " दीश "

 


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