अमलतास
अमलतास
लोहे सी तपती धरती , गर्म लू के थपेड़ों से ,
जहाँ समस्त जनजीवन कुम्हलाया सा है !
वहीं सुर्ख़ पीले फूलों की पगड़ी बाँधे ,
मेरे आँगन का अमलतास बौराया सा है !!
कड़ी धूप में जो जितना तप जाता ,
सोने की लड़ियाँ और झूमर वही पाता है ,
जीवन की कठिन दुपहरी में जो हर पल मुस्काता है ,
अमलतास सा , घूँट पी धूप का , कुन्दन सा तप जाता है