ज़िद कुछ लिखने की
ज़िद कुछ लिखने की
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आज ज़िद है कुछ हटकर लिखने की
पर क़लम मेरी आज ज़िद पर अड़ी है
आज ज़िद है एक कविता लिखने की
पर कल्पना मेरी आज ज़िद पर अड़ी है
आज ज़िद है मन की व्यथा लिखने की
पर भावनाएँ मेरी आज ज़िद पर अड़ी है
मेरे ज़िद्दी दिल और ज़िद्दी दिमाग़ के बीच
न जाने कौन सी अजीब जंग छिड़ी है ?
मैं खुद ही ज़िद्दी हूँ, यह तो मैं जानता हूँ
पर खुद ज़िद मेरी, क्यूँ ज़िद पे अड़ी है ?
आखिरकार मैने वो ज़िद पूरी कर ली है
'ज़िद' विषय पर कविता मैने लिख ली है