सुश्री रामप्यारी गुर्जर
सुश्री रामप्यारी गुर्जर
तुम हो ज्ञान सी मदालसा।
तुम हो महाकाल सी भाल सा॥
तुम से ही है निर्माण सृजन ।
तुम से ही है ये देवी भजन॥
तुम पूजनीय सी परम्परा ।
तुम बढ़ती रहो अब निरन्तरा ॥
ओ विशालिनी, ओ दयालिनी।
ओ दुखभञ्जिनी, ओ मालिनी॥
इतनी तू महिमा मन्डित होकर।
क्यों रहती भयभीत दिनभर॥
वो शत्रु नही वो महापापी।
जिससे सारी धरती कांपी ॥
आ चल अब ये युद्ध करे।
वीरो संग आ ये रक्षा परण करे॥(प्रण़़ परण)
अब तू गजरा शृंगार छोड़ ।
हाथो मे अब करवाल जोड़ ॥
गंगा मैया तू साक्षी जान।
शंख बजा गा समर गान॥
अब काल नही महाकाल होगा।
युद्ध बड़ा विकराल होगा ॥
एक नही दो धारी ले।
ऽप्यारीऽ को समझ बेटी ले॥
है कौरव भी संग आज तेरे।
चल आ अब तैमुर नाश करे॥
तुम हो चण्डी, तुम हो बाला ।
तुम क्षेमकरी, तुम जबाला ॥