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देश जल रहा हैं ..

देश जल रहा हैं ..

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क्या करें भाईसाब ?

अपने दन्त अपने ही होंठ

रहा भी न जाये और ...

कसम से सहा भी न जाये।


क्या करें भाईसाहब?

पेट के पीछे सब घायल

कुछ अंधभक्ति में पागल

कुछ मजबूर, असहाय, बेकार ।


क्या करें भाईसाब ?

रोटी , कपड़ा न मकान

बच्चों को अच्छी शिक्षा 

ना रोजगार , न कोई मिलने की आशा।


क्या करें भाईसाब ?

कुछ मांगो ,ट्रोल हो जाओगे

देशद्रोही कहलाओगे या ...

फिर इतिहास में खो जाओगे।


क्या करे भाईसाब ?

सच बोलें तो सुनेंगे नहीं

पुलवामा हो संसद हमला ..

देशद्रोही पकड़े तो कोई बात नहीं।


क्या करें भाईसाब ?

हर जगह उनका डंका

चाहे कुछ भी हो कहीं ...

चैनलों पर बेवजह झगडा़।


क्या करें भाईसाब?

कहने से नहीं चलेगा दोस्तों ...

सच बोलने की हिम्मत करनी होगी

देश जल रहा हैं .. आग बुझानी होगी।



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