इश्क़ के है रूप हज़ार
इश्क़ के है रूप हज़ार
दुनिया को जीत कर भी हारे हुए हैं हम,
जिससे था प्यार हमें उसी से अब नफरत हैं हमें,
एक एक झूठ उसका हमारा दिल तोड़ रहा है,
कैसे समझाए इस दिल को की यह मानता नहीं,
जब जब दूर जाने की कोशिश की
उसके करीब होते गए और हम,
कसूर हमारा है की बार बार पलट पलट कर
उसको ढूंढते रहे,
वो तो जाने कब से हम से जुदा हो चुके हैं,
कैसा है यह खेल मोहब्बत का,
जो हारता है वो तो हारता ही है,
जो जीतता है वो भी हार जाता है,
दुनिया को जीतकर भी हारे हुए हैं हम ...
इश्क़ इबादत भी है इश्क़ दर्द भी है
इश्क रंज भी है इश्क़ खुशी भी है
इश्क़ आग भी है इश्क़ पानी भी है
इश्क़ फूल भी इश्क़ कांटे भी है
इश्क़ प्यार भी है इश्क़ नफरत भी है।
इश्क़ हँसना भी है इश्क़ रोना भी है
इश्क़ सूरज भी है इश्क़ चाँद भी है
इश्क़ धरती भी है इश्क़ आकाश भी है
इश्क़ जीवन भी है इश्क़ मौत भी है
इश्क़ के है रूप हज़ार रूप हज़ार।।