माँ मैं धन्य हुई
माँ मैं धन्य हुई
मेरी आस्था मेरा विश्वास है माँ।
स्वच्छ, सरल जीवन का पाठ है माँ।
श्रध्दा, गौरव, विश्वास का प्रतिरूप है माँ।
संबंधों की डोर को मजबूत रखने का आधार है माँ।
सुख-दुख में समता का भाव है माँ।
प्रेमामृत से सतत् कल्याण का प्रकाश है माँ।
विनम्रता का सच्चा ज्ञान है माँ।
मृदु लोरी, स्नेह, महाघ्र ममता का अथाह सागर है माँ।
सर्वस्व की पहचान है माँ।
चारों तीर्थ धाम है माँ।
त्याग, तपस्या से जीवन सर्वोत्तम बनाती है माँ।
माँ का कोई पर्याय नहीं,कोटी -कोटी तूझे प्रणाम है माँ।
मायूस मन,तपीश,चिंता की औषधि है माँ।
हर हृदय में ईश्वर के जैसे रहती है माँ।
बच्चों से अथाह प्रेम करती है माँ।
सुखों से आलिंगन कराती है माँ।
माँ की समता बस तुझसे ही है माँ।
संस्कारों से पोषित करती है माँ।
ऊँचाइयों को छूएँ ऐसा अरमान जगाती है माँ।
देश पर मर मिटने का जज़्बा भरती है माँ।
अपना हर नाता-रिश्ता देश पर कुर्बान करती है माँ।
ईश्वर का दिया अनमोल उपहार है माँ।
होती नहीं जुदा कभी माँ।
रहती है हर सांस में,
हर निर्णय में,हर सोच में माँ।
कितना कुछ करती है माँ !
बस अब तुम सब इतना करना,
माँ का मान बनाए रखना,
उसके गौरव को कभी कम न होने देना।I