किसी द्वीप पर
किसी द्वीप पर
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किसी द्वीप पर
माँझी रे!
जोह रहा है
क्यों तू बाट
पड़ा यादों के अन्तरीप में
ले चल यह अलबेला दर्द
किसी द्वीप में
लहर तुझे
देती है आमंत्रण
खंडित
मत कर
यों-
मन का दर्पण
बादल बन
ढुलका दे बूँद
स्वाति-सीप में
माँझी रे!
ले चल
यह दर्द बेशक़ीमती
किसी कोलम्बस द्वारा
खोज लिए गऐ -
नये जगमग-जगमग
करते द्वीप में
माँझी रे!