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आस

आस

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दरिया की आँखों में भी प्यास होती है 

कभी कभी मेरी माँ भी उदास होती है।

मैं कभी कहता नहीं तुम वो बात कहो 

सुनो , इंसा हूँ , मुझे भी आस होती है।

आईना देखूं तो कुछ भी दिखा देता है 

मैं ही होता हूँ जब वो पास होती है।

मजहब, जाति,मुल्क, क्या क्या नहीं

मेरे सिवा मेरी हर चीज खास होती है।

तुम तनहा नहीं मुझे ढूँढ़ने के सफर में 

मुझको भी खुद की तलाश होती है।


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