कविता
कविता
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कवि पकता है जब
अनुभवों की आँच में
तब कहीं तैयार होती हैं
खाने लायक कविताऐं
धूप में सफ़ेद बाल
नहीं होते
क़तई नहीं होते कवि के
ये और बात
अनुभव से उम्र की दोस्ती
ज़रा कच्ची है
मशाल