अच्छी नहीं लगती
अच्छी नहीं लगती
इतनी खामोशी अब अच्छी नहीं लगती
माथे पर तेरे शिकन अच्छी नहीं लगती
आ बैठ कर सुलझा ले इन उलझनों को
ज़िन्दगी तू उलझी हुई अच्छी नहीं लगती।
हर चेहरा है कुछ बुझा- बुझा से यहाँ
हर चेहरे पे उदासी अच्छी नहीं लगती
अपनों की खातिर नहीं रहे ज़ज़्बात
अपनों से ये बेरुखी अच्छी नहीं लगती