दिदार
दिदार
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कोई आया है दर पर
के आंख आज नम न है
तू जो है मेरे सामने
तो कोई गम न है
देदे दो पल की मोहलत
के तेरा दीदार करूँ ,
रुह को कभी सुकून आये
जी भर के प्यार करूँ
तेरा ये इकरार भी किसी
खुदाई से कम न है
के आंख आज नम न है !