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लगन

लगन

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पगडण्डी पर छाँव पड़े जब यौवन लालि इठलाए साँझ पड़े और भाव बढे तब खनक चाल की मचलाए

 सनम मगर तेरी हामि का सर जो लाख दफा कट जाए

 ये पंछी हैं लगन छुपाए पर इनके भी लुट जाएँ।

 राग अलाप की होड़ लगे जब कोयल मधु यूँ बरसाए

 बूँदें गगन को छोड़ चले तब नृत्य मोर ही सिखलाए

इन दोनों की प्रेम डगर का सर जो लाख दफा कट जाए

 ये पंछी हैं लगन छुपाए पर इनके भी लुट जाएँ।

 फिर जंगल में बाण चले जब यम भी खुश हो मुस्काए

डगमग डगमग कदम बढे तब मोर की काया मुरझाए

 फिर भी कोयल के ख्वाब का सर जो लाख दफा कट जाए

 ये पंछी हैं लगन छुपाए पर इनके भी लुट जाएँ।

 कोयल खुद अब रो ही पड़े जब शेर का दिल भी भर आए

 लेकिन मोर से आँख लड़े तब कोयल का धड़ ठिठुराए

 दोनों के इस अध मिलाप का सर जो लाख दफा कट जाए

 ये पंछी हैं लगन छुपाए पर इनके भी लुट जाएँ।

 मोर की आशा उमड़ पड़े जब कोयल उड़ान भर आए

 लेकिन इश्क़ से याद लड़े तब मिलन की बेला रुक जाए

मोर के लंबे इंतज़ार का सर जो लाख दफा कट जाए

 ये पंछी हैं लगन छुपाए पर इनके भी लुट जाएँ।

दूसरा बाण घाव करे जब मोर तो मूर्छित हो जाए

खुद इश्क़ की बली चढ़े तब कोयल का मन सो जाए

सो कर उठने की क्रिया का सर जो लाख दफा कट जाए

 ये पंछी हैं लगन छुपाए पर इनके भी लुट जाएँ।


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