दुःख एक माध्यम
दुःख एक माध्यम
हँसते-हँसते
जब कटते हैं दिन
बेफ़िक्र होकर जीते हैं हम।
सुख में मानों
मदहोशी से
भूल जाते हैं ईश्वर को हम।
काल चक्रवश
जब दिन है पलटता
अक्सर मायुस रहते हैं हम।
इन्हीं पलों में
हमारा मन करता है
ईश्वर का चिंतन।
ये ही वो क्षण है
जिनमें हम रहते पास
ईश्वर के हरदम।
दुःख के क्षणों में
प्रभु हमारे
हमें बुलाते अपने द्वार।
समझाने जीवन का मोल
कि उन्हीं से है
सारा संसार।
मन में जिनकी करुणा
होती हरदम
रहते वे उनके साथ।
दु:ख ही है
वो अनोखा माध्यम
जो करा दे हमारा
ईश्वर से मिलन ।।