वहाँ मिलूँगी मैं
वहाँ मिलूँगी मैं
तुम हर पल ढूँढकर देख लेना,
मैं तुम्हारी यादों की बस्ती में मिलूँगी,
कोई जब खिलखिला कर हँसे,
उसकी उस हँसी में मिलूँगी मैं।
जब रिमझिम बारिश होगी,
उस बारिश की नन्ही नन्ही-सी बूंदो में मिलूँगी मैं,
तुम्हारे हर जज्बात तुम्हारी हर बात में मिलूँगी मैं,
जब कभी अकेले बैठना उस अकेलेपन में मैं मिलूँगी।
आँखें बंद करना और मुझे महसूस करना,
कहीं नहीं बस तुम्हारे दिल के किसी कोने में मिलूँगी,
जब भी सर्द मौसम होगा,
तब उस कोहरे की धुंध में मिलूँगी मैं।
मैं तुमसे दूर कभी नहीं जाऊँगी,
मैं और मेरी यादें हमेशा तुम्हारे दिल में रहेगी,
मैं कहीं नहीं बस तुम्हारे दिल में ही रहूँगी,
तुम्हारे हर गम में साथ नज़र आऊँगी।
मैं तुम्हें तन्हा देखकर कभी नहीं जी पाऊँगी,
अपने होठों की हँसी तुम्हारे नाम कर जाऊँगी,
तुम मुझे भुला देना भले ही कभी,
मगर मैं तुम्हे कभी भूल नहीं पाऊँगी।
मेरी यादों से तुम कभी जुदा नहीं हो पाओगे,
मैं ज़िन्दगी के हर लम्हे में मिलूँगी।