Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

ओ मां

ओ मां

1 min
7.0K


जब भी मैं बैठता हूं

ढलते सूरज के साथ

बालकनी में कुर्सी

पर अकेला

मेरी आंखों के सामने

आता है कैमरे का व्यूफ़ाइंडर

और उसमें झलकती है

एक तस्वीर

आंगन में तुलसी की पूजा करती

एक स्त्री की

और कहीं दूर से आती है एक आवाज

ओ मां।

जब भी बच्चे व्यस्त रहते हैं

टी वी स्क्रीन के सामने

और मैं बाथरूम में

शेव कर रहा होता हूं

शीशे के सामने अकेला

अचानक मेरे हाथ हो जाते हैं

फ़्रीज

शीशे के फ़्रेम पर

डिजाल्व होता है एक फ़्रेम और

मेरा मन पुकारता है

ओ मां।

जब भी मैं खड़ा होता हूं

बाजार में किसी दूकान पर अकेला

कहीं दूर से आती है सोंधी खुशबू

बेसन भुनने की

आंखों के सामने क्लिक

होता है एक फ़्रेम

बेसन की कतरी

और मेरे अन्तः से आती है आवाज

ओ मां।

जब भी मैं बैठता हूं

देर रात तक किसी बियर बार में

कई मित्रों के साथ पर अकेला

अक्स उभरता है बियर ग्लास में

आटो रिक्शा के पीछे

दूर तक हाथ हिलाती

एक स्त्री का

और टपकते हैं कुछ आंसू

बियर के ग्लास में

टप-टप

फ़िर और फ़िर

चीख पड़ता है मेरा मन

ओ मां।

 

हेमन्त कुमार


Rate this content
Log in