झीनी सी वो साड़ी
झीनी सी वो साड़ी
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झीनी सी वो साड़ी
जर्जर सी हो गई
कितनी पुरानी
और मलिन लगती है
सूई और धागे से
सिल नहीं सकती
क्योंकि, जर्जर हो गई है
झीनी सी ये साड़ी
क्या ढक पाऐगी मेरा तन
जो दर्शाती है
मेरी असहायता ,विवशता
दरिद्रता और गरीबी
जो अपना ही
अस्तित्व खो चुकी है
क्या ढक पाऐगी
मेरा तन ................
झीनी सी वो साड़ी !!!???
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