आँँसू छलक पड़े
आँँसू छलक पड़े
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इतनी-सी थी बात मगर आँँसू छलक पड़े
सपनों की थी बारात मगर आँँसू छलक पड़े
उम्रभर करते रहे हम जिनका इंतज़ार,
उनसे हुई मुलाकात मगर आँँसू छलक पड़े
एक लफ्ज़ भी न कह पाए हम उनके सामने
रोके बहुत जज़्बात मगर आँसू छलक पड़े
समझाते रहे अपने दिल को हम बार-बार
न बयां हो अपने हालात मगर आँँसू छलक पड़े
इतनी मिली खुशियां न पलकों में समा पाई
मिल गई कायनात मगर आँँसू छलक पड़े...।