स्त्री सशक्तिकरण
स्त्री सशक्तिकरण
कुछ भी कहो बहन, सखी, पुत्री या माता,
है सबका इससे एक प्यारा सा नाता।
फ़िर भी कई करते हैं इसका अपमान,
लोगो, कुछ तो समझो,उसका भी है आत्मसम्मान।
नहीं है उसे हर चीज़ का ज्ञान, ना ही है वह भगवान,
नहीं है वह किसी मर्द से कम, वह भी है इंसान।
वह तो है साक्षात देवी लक्ष्मी का रूप,
अपने कार्य से वह पीछे नहीं हटती।
चाहे छाँव हो या धूप,
नहीं हैं सिर्फ़ रसोई घर उसकी जगह,
वही हैं इस सुंदर जग की वजह।
काबिल हैं वह करने के लिए हर काम,
चाहे सुबह हो या शाम।
आज है आगे हर क्षेत्र में,
हैं तारे सबके नेत्रों के।
महसूस करती हैं वह भीतर-ही-भीतर कई घाव,
न करो लड़के और लड़की में भेद-भाव।
न करो हर बात पर वाद-विवाद,
स्त्रियों के प्रति लोगों के विचारों मे आए हैं बदलाव
कई वर्षों के बाद, सब लोग हैं एक समान,
नहीं चाहे वो अपने चरणों पर फ़ूल,
गहने या देवी का स्थान,
बस माँगती है अपना इंसान होने का मान।।