शहादत का लुत्फ़...
शहादत का लुत्फ़...
सो गए हम
देश के तिरंगे में लिपट
सो गए हम
अंग संग गूँज सलामी की
आवाज़ शहादत की
कहीं से सुबक माँ की
कहीं नम आँखें परिवार की
गर्व छाती फूली बाप की
ज़िंदगी सोनिया अच्छी गुज़री
क्यू दोस्तों !
सरहद पर ज़िंदगी जीना
अच्छा था
मौत मिली ख़ुशनसीब हैं हम
इकट्ठा चले थे
अपने देश की लाज को
अपने लाज बना
चले थे अपनी माँ को
दुष्टों से बचा
कैसे बारूद वो गोली चली थी
दुश्मन की क्यारी
ख़ून से भरी थी
शहीद हुए मरे नहीं
मार के,सीने को तान के
इकट्ठे गोली खायी थी
मौत गले लगायी थी
आज मिट्टी में मिल
इकठे ही हम सब
ये लुत्फ़ उठाएँगे
अपने वतन हिन्दोस्तान
दोबारा हम सब आएँगे
क़सम है इस तिरंगे की
दोबारा से अपनी जान
नियोछावर कर
शहादत का लूफ़्त उठाएँगे
शहादत का लुत्फ़ उठाएँगे
भारत माता की जय
भारत माता की जय