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मेरे जीवनसाथी

मेरे जीवनसाथी

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सुनो प्रिय !

तुम क्या जानो 

कितनी मुहब्बत है तुझसे

तुम साथ रहो या नही

तुम्हारे होने का एहसास ही

हर पल रहता है।


और मैं जिंदा हूँ,

फिर तेरे दीदार के लिए

हाँ जिंदा हूँ

इसलिए हँसती हूँ साथ तेरे

हर ख्वाब पूरे होने का रखती हूँ जज्बा !


जिंदादिली से जीती हूँ,

और स्वीकार करती हूँ

तुझे और तेरी मुहब्बत !

परवाह नही जमाने की,

जिंदगी का कोई भी दौर हो।


तुम साथ हो न प्रिये

काफी है मेरे होने के लिए !

जिंदगी हूँ मैं,

वजह हो तुम, तुम ही तुम।


हर कहीं हर जगह

मुझमें मेरे होने का एहसास भी तू

दुनिया में होकर भी

कितनी बेखबर हूँ मैं।


तेरे इर्द गिर्द घूमती ही

जिंदगी है मेरी

तू ही जिंदगी,तु ही बन्दगी

करूँ तेरी ही इबादत।


मेरे खुदा मुझे माफ करें

भीड़ में होकर भी

मैं तन्हा रहती हूँ !

तेरी यादों में खोई अक्सर

मीलों चला करती हूँ !


इंतजार की एक

एक घड़ियां गिनती

बैठी दहलीज में रहती हूँ !

तुम आओ तो सही

मौसम मुस्कुराता है !


सावन में पूछो न पिया,

जाने क्यों इतना इठलाता है !

 वो जानता है

कितने यादे संचित है

हृदय में सावन की

घनघोर घटाओं संग

सब उमड़ घुमड़ याद आता है !


बारिश में बहते 

भीगे खत की तरह

हर लम्हा बेवरवाह बह जाता है

समेटती हूँ फिर

हृदय के किसी कोने में सजाने

या रूह में आत्मसात करने

और दुआ करती हूँ

शिव जी से।


जन्मों जन्मों तक

मेरी रूह के साथ तेरा नाता रहे !

जब भी जन्म लूँ

तू ही मुझे हर बार मिले

जन्म न भी लूँ।


तब भी तेरा सानिध्य मिले,

संचित रूह तक तेरा प्यार रहे !

मेरे कण कण में

तुझसे मिलन की प्यास रहे

प्रिय मेरे जीवनसाथी !


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