महाशक्ति
महाशक्ति
ये हृदय
एक महाशक्ति को
स्वयं में निहित किये हुए है।
ऐसी महाशक्ति जो
एक क्षण में सम्पूर्ण ब्रह्मांड को
अपनी प्रेयसी के आगे डाल देने
की चाहत रखता है,
किसी क्षण यह इतना
निर्बल, इतना दुर्बल हो जाता है
कि उसी प्रेयसी के आगे
गिड़गिड़ाता है, रोता है,
बिलखता है...
इस महाशक्ति की कोई बात
जब प्रेयसी के कानों पर असर
नहीं डाल पाती तब ये,
एक आशा रखता है कि
कभी तो इस ब्रह्मांड से मेरी आवाज़
टकराकर, एक दिन प्रेयसी तक
पहुँचेगी...
उस दिन मुझे इस ब्रह्मांड के
परे भी जाना हुआ
तो भी मैं सहर्ष ही स्वीकार
कर लूँगा।