बरसात
बरसात
खिल गयी कलियाँ हृदय की
आ गयी बरसात प्रियतम
रेशमी अहसास लेकर
खिल उठे जज्बात प्रियतम
झूलती झूला हवा सँग
गीत गाती हैं सखी
झूमते अंकुर नये अब
मुस्कुराती हैं सखी
मेघ रिमझिम से बरसते
दे रहे सौगात प्रियतम
बोलते दादुर कहीं पर
छिप रही हैं तितलियाँ
मन मृदुल ढोलक बजे हैं
हैं कड़कती बिजलियाँ
उड़ रही सोंधी महक जब
भींगता महि गात प्रियतम
मीन सरि में हैं टहलती
हैं थिरकते मोर वन
घूमते हैं दूत बनकर
दूर नभ काले सघन
बन धुआँ उड़ने लगी फिर
दिल छिपी हर बात प्रियतम
लग रही मीठी जगत को
नीम की भी पत्तियाँ
बाँटती बूँदे रसीली
प्रीत की जब चिट्ठियाँ
खटखटाती हैं ठुमक कर
द्वार मन का रात प्रियतम।